Maharana pratap hindi में उनके जन्म, परिवार एवं राज्याभिषेक का विस्तृत वर्णन एवं इनसे जुड़े सारे प्रश्नों के उत्तर आपको हमारे article में उपलब्ध कराने का प्रयास करेंगे।
Maharana pratap का जन्म एवं उनका परिवार-
Maharana pratap जी का जन्म ज्येष्ठ शुक्ल की तृतीया रविवार 9 मई 1540 को हुआ था।
जन्म स्थान (place of birth) - Maharana pratap का जन्म वर्तमान Rajsathan के kumbhalgarh जिला rajsamand में हुआ था।
Maharana pratap की माता - Maharana pratap की माता का नाम जयवंता बाई था, जो पाली के अखेराज सोनगरा की पुत्री थी।
Maharana pratap के पिताजी का नाम राणा उदय सिंह जी था जो Rana sanga के पुत्र थे l
Maharana pratap ने अपने जीवन में कुल 11 शादियाँ की थी उनकी पत्नियों और उनसे प्राप्त उनके संतानो के नाम है-
महारानी अजबदे पंवार - इनसे इन्हें दो पुत्र हुए अमरसिंह (यह आगे चलकर मेवाड़ के राणा बने) और भगवानदास
फूलबाई राठौर ( यह मारवाड़ की राजकुमारी थी) - चंदा और शिखा
अमरबाई राठौर - नत्था
शहमति बाई हाडा - पुरा
अलमदेबाई चौहान - जसवंत सिंह
चंपाबाई जंथी - कल्ला, सनवालदास और दुर्जन सिंह
रत्नावती बाई परमार - माल,गज,क्लिंगु
लखाबाई - रायभाना
जसोबाई चौहान - कल्याणदास
सोलनखिनीपुर बाई - साशा और गोपाल
खीचर आशाबाई - हत्थी और राम सिंह
Maharana pratap का राज्याभिषेक -
28 फरवरी, 1572 ई. - Holi के दिन महाराणा उदयसिंह का देहान्त हुआ। महाराणा उदयसिंह ने अपने देहान्त से पहले अपनी प्रिय रानी धीरबाई भटियाणी के प्रभाव में आकर अपने 9वें पुत्र kuwar jagmal को Maharana घोषित कर किया। मेवाड़ में रिवाज था कि उत्तराधिकारी अपने पिता के दाह संस्कार में भाग नहीं लेता है, इसलिए Jagmal गोगुन्दा के महल में राजगद्दी पर बैठ गया।
Mewar के राज परिवार से जुड़े सदस्यों सामंत को यह बात तब पता चली जब Raja Ram shah tomar जी ( ग्वालियर नरेश जिन्हें मुगल सेना ने पराजित करा था उसके बाद उदय सिंह जी ने उन्हें शरण दी थी ) ने Jagmal के छोटे भाई सागर से पूछा की जगमाल जी नहीं आए तो सागर ने जवाब दिया आपको नहीं पता दाजी राज ने दादा भाई Jagmal को मेवाड़ नरेश घोषित किया है।
उसके पश्चात मेवाड़ की सभी सामंत जिनमें प्रमुख हैं रावत कृष्णदास चुंडावत, राजा राम शाह तोमर, मान सिंह सोनगरा (महाराणा प्रताप जी के मामा), भील राणा पूंजा जी आदि ने ने मिलकर मंत्रणा की की जगमाल गद्दी के योग्य नहीं है वह मेवाड़ को मुगलों के अधीन कर देगा। सिंहासन के योग्य तो केवल राजकुमार Pratap जी ही है |
इसके बाद सारे सामंत ने तय किया की वे जगमाल को सिंहासन से हटा कर Kuwar Pratap का राज्याभिषेक करेंगे।
इसके बाद रावत कृष्णदास चुंडावत ने जगमाल का हाथ पकड़ कर सिंहासन से उठाकर नीचे बैठा दिया और कहां सिंहासन के ऊपर बैठने योग्य तो केवल kuwar Pratap singh जी ही है।
इसके बाद महादेव की बावड़ी मैं भील राणा पूंजा जी ने अपने खून से राणा प्रताप का तिलक कर राज्याभिषेक करा सारा मेवाड़ Maharana pratap के जय जय जयकार से गूंज उठा।
महाराणा प्रताप का प्रथम राज्याभिषेक 28 फरवरी, 1572 में गोगुन्दा में हुआ था लेकिन विधि विधानस्वरूप राणा प्रताप का द्वितीय राज्याभिषेक 1572 ई. में ही कुुंभलगढ़़ दुुर्ग में हुआ, दुसरे राज्याभिषेक में जोधपुर के राठौड़ शासक Rao chandra sen चन्द्रसेेन भी उपस्थित थे।
आशा है आपको Maharana pratap hindi में उनके जन्म, परिवार और राज्याभिषेक की विस्तृत जानकारियां हमारे इस article में मिल गई होगी।
यदी इस के संबंध में आपका कोई प्रश्न हो तो comment में बताये।