Haldighati ka yudh मुगल बादशाह Akbar और Maharana pratap के बीच हुआ था। इस युद्ध में किसकी जीत हुई इसमे संबंध में अलग अलग विशेषज्ञों की अलग अलग राय है। हमारे इस लेख में Haldighati ka yudh कौन जीता था इसका निष्पक्ष वर्णन हम करेगे। आशा इसके बाद आपको इस विषय में कोई और आर्टिकल पढ़ने की आवश्यकता नहीं पड़ेगी।
कब हुआ था Haldighati ka yudh -
Haldighati ka yudh कब हुआ इसके संबंधित दो तारीख है 18 june और 21 june दोनों के बीच इतिहासकार एक मत नहीं है।
किंतु यह युद्ध केवल 4 घंटे चला था।
Haldighati yudh में दोनों और से सेना की संख्या -
Maharana pratap की सेना मुगल सेना से लगभग एक चौथाई से कम थी। मुगल सेना के पास बेहतर हथियार और Maharana pratap के मुकाबले हाथियों और घुड़सवार की संख्या अधिक थी।
मुगल इतिहासकार बदांयूनी के लेख के अनुसार मुग़लों ने 5000 सवारों के साथ कूच किया लेकिन यह सिर्फ घोड़ों की संख्या थी। इतिहास में सेना की संख्या को लेकर अलग अलग मत है।
ब्रिटिश इतिहासकार Colonel James ने लिखा है की 22,000 राजपूत और 80,000 मुगलों के बीच haldighati ka yudh हुआ। लेकिन यह आकड़ा भी सही नही लगता।
अगर राजस्थानी इतिहासकार मुहणौत नैणसी, अबुल फजल, प्रसिद्ध इतिहासकार यदुनाथ जी के आकड़ों का औसत निकला जाये तो 5,000 राजपूत और 20,000 मुगल सेनिको को का युद्ध हुआ होगा।
Haldighati ka yudh कौन जीता निष्पक्ष परिणाम -
मुगल इतिहासकार के अनुसार - Akbar के राजकीय कवि Abul Fazal के अनुसार Haldighati ka yudh मुगल सेना जीती थी। उसके अनुसार जब यह खबर Akbar तक पहुँची तो उसने खुदा का शुक्रिया किया।
किन्तु haldighati yudh के बाद Akbar ने Haldighati yudh के सेनापति मानसिंह और आसफ खान पर haldighati yudh के परिणाम से नाखुश होकर दरबार में आने पर रोक लगा दी।
अगर मुगल यह युद्ध जीते थे तो Akbar नाखुश क्यो था?
इसका उत्तर सरल हे मुगलों का युद्ध के पहले उद्देश केवल विजय होना नहीं था वह तो Maharana pratap को समाप्त करना चाहते थे किंतु इसमें वे सफल ना हो सके।
अगर मान भी लिया जाए कि यह युद्ध मुगल जीते थे तो यह कैसी विजय हुई जिसमें विपक्ष का राजा Maharana pratap ना ही पकड़ा गया ना ही वीरगति को प्राप्त हुआ।
अगर मुगल सैनिक राजा को पकड़ ही ना पाए तो Maharana pratap कैसे पराजित हुए।
डॉक्टर चंद्रशेखर शर्मा द्वारा Maharana pratap की विजय के संबंध में कुछ साक्ष्य प्रस्तुत किये गये, यह साक्ष्य काफी महत्वपूर्ण हैं। उनके अनुसार Maharana pratap ने Haldighati yudh की विजय के बाद ताम्रपत्र जारी करवाये थे व haldighati के आसपास की भूमि दान की थीं। परन्तु वास्तविकता ये है कि Maharana pratap ने ये ताम्रपत्र haldighati yudh के बाद हुई गोगुन्दा की लड़ाई में जीत के पश्चात जारी किए थे।
Maharana Raj singh के शासनकाल मे kishor das द्वारा लिखे गए ग्रंथ राजप्रकाश( Rajprakash) में लिखा है कि “अकबर से आज्ञा पाकर राजा मानसिंह हाथी, घोड़े, पैदल फौज सहित युद्ध के लिए इस प्रकार चला कि पृथ्वी कम्पायमान होने लगी। दोनों सेनाओं के मध्य भयंकर युद्ध हुआ। युद्ध में महाराणा प्रताप विजय रहे ”।
किंतु अगर यह माना जाए महाराणा प्रताप युद्ध में विजय हुए तो हमें वीरवर झाला मानसिंह एवं चेतक के बलिदानों को अस्वीकार करना होगा किंतु यह संभव नहीं है।
निष्पक्ष परिणाम-
Haldighati ka yudh निर्णायक न हो सका क्योंकि मुगल सेना का उद्देश Maharana pratap व उनके के राज्य को समाप्त करना था किंतु Maharana pratap द्वारा अंत समय में स्वतंत्रता की मशाल को जीवित रखने के विचार से रणभूमि छोड़कर जाना पड़ा जिस कारण वश वह मुगलों के हाथ ना आए और एक पुराना नियम है अगर राजा पराजित ना हो तो सेना का पराजित होना व्यर्थ है। Haldighati yudh के कुछ समय बाद आधे हिंदुस्तान का राजा Akbar 80 हजार की फौज लेकर फिर मेवाड़ आया था ताकि वह राणा प्रताप को पकड़ सके, सीधा सा गणित है अगर हल्दीघाटी युद्ध के परिणामों से खबर खुश होता तो उसे वापस मेवाड़ ना आना पड़ता।
Maharana pratap का युद्ध भूमि छोड़कर जाना केवल एक शुरुआत थी वह तो केवल शेर की तरह शिकार करने के लिए दो कदम पीछे हटे थे। Haldighati ka yudh अंत नहीं बल्कि एक नए संघर्ष की शुरुआत मात्र थी। हल्दीघाटी युद्ध के कुछ वर्षों बाद ही, Maharana pratap ने लगभग समूचे मेवाड़ पर अपना शासन स्थापित कर लिया था।
आशा है आपको Haldighati ka yudh कौन जीता इसका उत्तर मिल गया होगा। इस के संबंध में आपका यदि कोई प्रश्न हो तो comment में बताये में उत्तर देने का पूरा प्रयास करूँगा।